मत ललचाओ जी ! थाली में जो है
वो तो खा लो
पेट भर जाएगा
काहे हर स्टॉल पर
दौड़त- फिरत हो
प्लेट ले कर ,
जैसे कोई रिपोर्ट देनी हो
अपने घर जाकर
कैसा बना था
दावत का खाना
या फ्री के डिनर की
पूरी कसर निकालनी है ,
अरे भई !
तनिक सब्र करो
अगडम-बगड़म ठूंस कर
पेट को वेस्टबिन मत बनाओ
हाजमे का कुछ तो खयाल ---------------------------------
by Er. Jasvir Arorahttp://jasvir-ekla.blogspot.com/2010/05/blog-post_14.html
मां शारदे ! मेरे मन की वीणा को
संगीत के स्वरों से भर दो
विवेकी बना बुद्वि को
उसे श्वेत हंस जैसी कर दो
किताबे पढ़ता रहूं
कविताएं लिखता रहूं
ज्ञान की ज्योति जगाकर
स्व का मुझे सार दो
वाणी से गाता रहूं
तेरे ही गुण
ऐसा मुझे वर दो
करता रहूं सेवा हंसते हुए
उत्साह और ऊर्जा से
मुझको भर दो ।
------------------------ by Er. Jasvir Arora http://jasvir-ekla.blogspot.com/2010_01_01_archive.html
आउटसोर्सिग तुम्हारे पास
गेहूँ उगाने के लिए जमीन है
पर आटा खरीदो दुकान से,
गायें (मॉं) हैं घर में पर
दूध खरीदो मदर-डेरी से,
मशीनें हैं, फैक्टरी हैं पर सामान बाहर से खरीदो :दो :
कामन-वैल्थ का खेल खेलते हुए
हम ठेकेदार
नौकरशाही के साथ मिलकर
खूब गोल कर रहे हैं
डी (दिल्ली) में। ---------------------------
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ड्रेस-चेंज पहनते थे पहले
दुपट्टा और पगड़ी
सभी लोग :
चेहरे पर नकाब
सिर पर टोपी
हया का प्रतीक था
नंगे सिर घूमना
बुरा माना जाता था ।
अब जमाना बदल गया है
बहुत आगे बढ़ गया है
नंगा रहना ही
फैशन हो गया है !
लाया जा रहा है दुपट्टा
आँचल या सिर
ढकने की बजाय
मुँह छुपाने के काम
गरमी की धूप से ,
लोगों की नजरों से
और पगड़ी पहनते हैं सरदार
स्मार्ट दिखने के लिए
हैलमेट के तौर पर।
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